झारखण्ड सेवा संहिता परिशिष्ट-13 के अंतर्गत राज्य के सभी सरकारी सेवकों को आकस्मिक अवकाश (Casual Leave) देय है। छुट्टी की स्वीकृति कार्यालय प्रधान देंगे। इस अवकाश को सरकारी घोषित छुट्टी, क्षतिपूरक अवकाश एवं रविवारीय अवकाश के साथ मिलाकर लगातार दिनों के लिए अधिकत्तम 12 दिनों तक उपभोग किया जा सकता है।
प्रत्येक कैलेण्डर वर्ष में सचिवालय कर्मियों को छोड़कर बाकी सभी सरकारी सेवकों को 16 आकस्मिक अवकाश दिया जाता है। आकस्मिक अवकाश की अवधि के भीतर पड़ने वाले रविवार या अवकाश, छुट्टी के अंश नहीं माने जाने चाहिए (शुद्धि पत्र 123, दिनांक 28-4-1965 द्वारा प्रतिष्ठापित)।
आकस्मिक अवकाश (Casual Leave) का नया नियम
झारखण्ड सरकार, कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग के पत्रांक-10300, दिनांक 07 दिसंबर, 2015 के अलोक में सचिवालय एवं संलग्न कार्यालय जहाँ पर पांच दिवसीय कार्यालय है आकस्मिक अवकाश (Casual Leave) की संख्या 12 से बढ़ाकर 14 किया गया तथा जहाँ पर 6 दिनों की सप्ताह वाले कार्यालय संचालित है उन स्थानों पर आकस्मिक अवकाश की संख्या को 16 से 18 किया गया।
नियमित सरकारी शिक्षक व कर्मियों को प्रति वर्ष 16 आकस्मिक अवकाश प्रदान किया जाता है। यह अवकाश जनवरी से प्रारम्भ होकर दिसंबर तक के लिए अनुमान्य होती है। उक्त माह के बाद अवशेष रहने पर छुट्टी स्वतः समाप्त हो जाता है। इस अवकाश को राजपत्रित अवकाश के साथ आदि और अंत (Suffix & Prefix) दोनों में उपभोग कर सकते है, परन्तु 12 दिन से अधिक होने पर उपार्जित छुट्टी हो जाएगी।
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आकस्मिक अवकाश की शर्तें
झारखण्ड सेवा संहिता परिशिष्ट 12 (नियम 152 और 153 ) में छुट्टी स्वीकृत या अस्वीकृत करने सम्बन्धी नियमों का उल्लेख है। इसके तहत आकस्मिक अवकाश (Casual Leave) का अधिकार पूर्वक दावा नहीं किया जा सकता है। छुट्टी इस हद तक नहीं देनी चाहिए कि उससे विद्यालय या विभाग में काम करने वालों की बहुत कमी हो जाय। जब शिक्षक / कर्मचारियों की संख्या, काम को देखते हुए, कम-से-कम हो जाय, तब किसी भी तरह की और छुट्टी नहीं देनी चाहिए। हाँ, अत्यावश्यक मामले की बात अलग है। जब लोक-सेवा के हित में छुट्टी के सभी आवेदन स्वीकृत करना असम्भव हो, तब किन आवेदकों को छुट्टी दी जाय, यह निर्णय करने के लिए निम्न बातों पर विचार करना चाहिए :-
- किन सरकारी सेवकों को उस समय आसानी से छुट्टी दी जा सकती है इस बात पर भी उचित ध्यान देना चाहिए कि जरूरत होने पर उन्हें सुविधापूर्वक छुट्टी से वापस बुलाया जा सकता है या नहीं।
- विभिन्न आवेदकों की कितनी छुट्टी बाकी है।
- पिछली बार छुट्टी से लौटने पर हर आवेदक ने विद्यालय या विभाग में कितनी और कैसी सेवा की है।
- किसी आवेदक को पिछली छुट्टी से अनिवार्यत: वापस बुलाया गया था या नहीं।
- किसी आवेदक को लोकहित में पहले छुट्टी अस्वीकृत की गयी है या नहीं।
सेवा संहिता के अनुसार यदि कोई सरकारी शिक्षक या सेवक स्वास्थ्य के आधार पर थोड़े-थोड़े समय पर छुट्टी के लिए आवेदन करे, तो बिना स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र के छुट्टी नहीं देनी चाहिए। ऐसे मामले में, पहले बार – बार ली गई छुट्टी, स्वास्थ्य परीक्षकों की दृष्टि में लानी चाहिए और उन्हें विशेष सावधानी के साथ इस पर सलाह देने के लिए कहना चाहिए कि पूरे स्वास्थ्य लाभ में कितना समय लगेगा।
आकस्मिक अवकाश का नियम क्या है?
सेवा संहिता के परिशिष्ट-13 के अनुसार सभी सरकारी सेवकों को आकस्मिक अवकाश देने का प्रावधान है। यह एक पंचांग वर्ष में जनवरी से दिसंबर तक 16 आकस्मिक अवकाश देय है। क्षतिपूर्ति अवकाश , सरकारी छुट्टी और रविवारीय छुट्टी मिलाकर एक बार में अधिकत्तम 12 अवकाश का उपभोग कर सकते है। छुट्टी की स्वीकृति कार्यालय प्रधान देंगे। नियम 152 के तहत छुट्टी का अधिकार पूर्वक दावा नहीं किया जा सकता है।
एक बार में कितना आकस्मिक अवकाश (CL) ले सकते है?
सेवा संहिता के परिशिष्ट-13 के अनुसार एक कैलेण्डर वर्ष में आकस्मिक अवकाश को एक बार में अधिकतम 12 ले सकते है। सरकारी छुट्टी और रविवार के साथ मिलाकर वर्तमान नियम के अनुसार 12 दिनों तक छुट्टी का उपभोग किया जा सकता है।
CL का Full Form क्या है ?
CL का Full Form है – Casual Leave हिंदी में इससे “आकस्मिक अवकाश” कहा जाता है। अकस्मात बिना प्रयोजन के कोई कार्य पड़ जाये , जिसके कारण ऑफिस जाना असंभव हो, उस विपरीत परिस्थिति में आकस्मिक छुट्टी (Casual Leave) का उपयोग किया जाता है।
सारांश
सरकारी सेवकों को आकस्मिक अवकाश जनवरी से दिसंबर तक एक वर्ष में 16 दिया जाता है। एक बार में अधिक से अधिक लगातार दिनों के लिए कुल 12 CL से अधिक उपभोग नहीं कर सकते है। सेवा संहिता के नियम 152 के अनुसार अवकाश का अधिकार पूर्वक दावा नहीं कर सकते है (परिशिष्ट-13)। नियम के तहत जहाँ दूसरी तरह की छुट्टी उपयुक्त हो, वहां आकस्मिक अवकाश (Casual Leave) छुट्टी नहीं देनी चाहिए।
आकस्मिक अवकाश (Casual Leave) इस तरह से कभी नहीं देनी चाहिए कि – वेतन और भत्ते की गणना की तारीख, पदभार, छुट्टी के आरम्भ और अंत, कर्तव्य पर लौटने की अवधि सम्बन्धी नियमों का पालन न हो जाए या छुट्टी की अवधि, नियम द्वारा अनुमान्य अवधि से बढ़ जाए।
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