झारखण्ड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् रांची द्वारा राज्य के संचालित सभी सरकारी तथा गैर सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षकों के लिए पाठ योजना SOP (मानक संचालन प्रक्रिया ) तैयार की गई है। अब सभी सरकारी तथा सहायता प्राप्त शिक्षकों को पाठ-योजना प्रारूप के तहत पाठ-योजना तैयार करने होंगे।
पाठ योजना की रूपरेखा तैयार करना शिक्षण को प्रभावी और सुनियोजित बनाने के लिए अति आवश्यक है। पाठ योजना SOP यह सुनिश्चित करती है कि कक्षा के लिए उपलब्ध समय का सदुपयोग प्रभावी ढंग से किया जाए। इसमें प्रत्येक गतिविधि के लिए समय और घंटी निर्धारित किया जाता है ताकि शिक्षक कक्षा में सम्बंधित विषय पर अधिक या कम समय न लें।
उल्लेखनीय है कि विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के गुणवत्ता पूर्ण अध्यापन हेतु सभी विद्यालयों में साप्ताहिक विच्छेदित पाठ्यक्रम के अनुसार RAIL परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है।
RAIL परीक्षा के साप्ताहिक आयोजन के लिए आवश्यक है कि साप्ताहिक विच्छेदित पाठ्यक्रम के अनुसार विद्यार्थियों का अध्यापन शिक्षकों द्वारा आदर्श स्थिति में किया जाय। विद्यार्थियों का आदर्श स्थिति में अध्यापन के लिए शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को पढ़ाने के पूर्व पाठ योजना SOP के तहत तैयार करना आवश्यक है।
पाठ योजना क्या है ?
शिक्षक एक पाठ या अध्याय को पढ़ाने के लिए उसे छोटी-छोटी इकाईयों में बाँट लेते हैं जिसे हम प्रकरण कहते हैं। एक इकाई की विषय-वस्तु को एक घंटी (Period) में पढ़ाया जाता है। इस विषय-वस्तु को पढ़ाने के लिए शिक्षक द्वारा एक विस्तृत रूपरेखा तैयार की जाती है जिसे हम पाठ-योजना कहते हैं।
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पाठ योजना SOP की आवश्यकता एवं उद्देश्य
शिक्षकों के लिए पाठ योजना SOP में शिक्षण के उद्देश्य पहले से निर्धारित होते हैं, जिससे शिक्षक सुनिश्चित कर सकते हैं कि छात्रों को कौन-सी जानकारी प्राप्त होनी चाहिए और उन्हें किस कौशल में निपुणता हासिल करनी है। उसी के अनुरूप पठन-पाठन का कार्य करते है। इसका उद्देश्य निम्नलिखित है –
- उदाहरण के तौर पर एक इंजीनियर को भवन-निर्माण के लिए नक्शा या योजना की ब्लूप्रिंट की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार शिक्षक को एक इकाई की विषय-वस्तु के अध्यापन के लिए पाठ-योजना का निर्माण करना आवश्यक होता है ।
- पाठ – योजना के माध्यम से कक्षा में शिक्षण की क्रियाओं और सहायक सामग्री की पूर्ण जानकारी हो जाती है।
- प्रस्तुतीकरण के क्रम में निश्चितता आ जाती है।
- इससे कक्षा – शिक्षण के समय शिक्षक की विस्मृति ( Forgetfullness) की संभावना कम होती है।
पाठ-योजना की रूपरेखा
पाठ योजना SOP एक मार्गदर्शक के रूप में काम करती है। इससे कक्षा में अनुकूलनशीलता और शिक्षण का कार्य लचीलापन बना रहता है। अच्छी तरह से तैयार की गई पाठ योजना SOP से शिक्षक आत्मविश्वास से भरे होते हैं, क्योंकि उनके पास एक स्पष्ट योजना होती है, जिससे उन्हें कक्षा में बेहतर तरीके से पढ़ाने में मदद मिलती है।
- सामान्य सूचना ( General Information) :- पाठ योजना SOP के तहत इसमें शिक्षक का नाम, माह, सप्ताह, दिनांक, कक्षा, घंटी, अवधि, अध्याय,प्रकरण एवं पृष्ठ संख्या आदि का उल्लेख किया जाना है।
- अधिगम उद्देश्य (Learning Objectives) :-
इसमें प्रकरण पूर्ण होने के पश्चात विद्यार्थियों में विकसित होनेवाली दक्षताओं एवं कौशलों (Skills) का उल्लेख किया जाता है। - अधिगम प्रतिफल (Learning Outcomes ) :-
अधिगम प्रतिफल ऐसे बिंदु होते हैं जो उस ज्ञान या कौशल की व्याख्या करते हैं, जो विद्यार्थियों के पास एक पाठ्यक्रम या इकाई के अंत में होना चाहिए और जो विद्यार्थियों को यह समझने में मदद करते हैं कि वे ज्ञान और क्षमताएँ उनके लिए क्यों और किस प्रकार सहायक होंगी । - शिक्षण – विधि (Teaching Method) :-
पाठ पढ़ाते समय शिक्षक कौन-से शिक्षण – विधि का इस्तेमाल करेंगे, उसे यहाँ लिखा जाता है। - शिक्षण अधिगम सहायक सामग्री ( Teaching Learning Aids) :-पाठ पढ़ाने में किस प्रकार की अधिगम सामग्री ( Learning Material) की आवश्यकता पड़ती है, उसका उल्लेख करना चाहिए। जैसे मॉडल (Model), चार्ट (Chart), श्यामपट्ट (Blackboard), चॉक (Chalk), डस्टर (Duster), ऑडियो, वीडियो, पेन ड्राईव, कम्प्यूटर, लैपटॉप इत्यादि ।
- पूर्व ज्ञान (Previous Knowledge) :-
पूर्व ज्ञान में विद्यार्थियों से उस विषय-वस्तु से संबंधित कुछ सवाल पूछे जाते हैं, जिससे यह ज्ञात हो सके कि उन्हें उस विषय के बारे में पहले से कितनी जानकारी है । - प्रस्तुतीकरण (Presentation) :-
पाठ योजना SOP के इस भाग में छात्रों के सम्मुख पाठ्य वस्तु का शिक्षण बिंदु (Teaching Point) प्रस्तुत किया जाता है। उदाहरणस्वरूप :-
a. शिक्षण / अध्यापन बिन्दु ( Teaching Points)
b. शिक्षक क्रियाशीलता (Teacher’s Activities)
c. छात्र क्रियाशीलता ( Student’s Activities)
d. श्यामपट्ट-कार्य (Blackboard Work)
e. मूल्यांकन (Evaluation) - पुनरावृत्ति (Recapitulation) :-
पाठ योजना SOP के कार्यान्वयन के क्रम में विद्यार्थियों की पठित विषय-वस्तु पर बेहतर समझ सुनिश्चित करने के लिए उक्त प्रकरण की पुनरावृत्ति की जाती है। - गृह-कार्य (Home Work) :-
पाठ-योजना में प्रकरण की समाप्ति के उपरांत विद्यार्थियों को रचनात्मक गृह-कार्य दिया जाता है। शिक्षक को पाठ-योजना लेखन एवं कक्षा में उसके कार्यान्वयन में गृह-कार्य को आवश्यकतानुसार अवश्य स्थान देना चाहिए। - अन्य बिंदु (Other Points:-
इसमें कक्षा समाप्ति के पूर्व विद्यार्थियों से कक्षा के संबंध में उनकी प्रतिक्रिया, शिक्षक का स्व-मूल्यांकन एवं पाठ-योजना में अपेक्षित सुधार आदि के संबंध में लिखा जाता है।
पाठ योजना SOP के अनुसार निर्माण हेतु आवश्यक निर्देश
प्रत्येक कक्षा में बच्चे विविध पृष्ठभूमि और क्षमताओं के होते हैं। एक सुव्यवस्थित पाठ योजना के अनुसारअध्यापक को इस बात की तैयारी करने में सहायता करती है कि वे छात्रों की उनकी भिन्न-भिन्न आवश्यकताओं (जैसे विशेष सहायता, धीमे या तेज सीखने वाले बच्चे ) को कैसे ससमय पूरा करेंगे। कक्षा – शिक्षण की सफलता पाठ योजना SOP पर निर्भर करती है इसलिए शिक्षकों को पाठ-योजना बनाते समय निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए:-
- प्रत्येक शिक्षक, वर्ग-तालिका (Class Routine ) के अनुसार आवंटित कक्षा के विषय के अध्यापन के लिए अधिकृत होंगे। ससमय विषय के पाठों के अध्यापन की जवाबदेही उनकी होगी।
- प्रत्येक शिक्षक को उन्हे आवंटित कक्षा के संबंधित विषय के लिए एक पाठ-योजना पंजी संधारित करनी होगी, जिसे विद्यालय के प्रधानाध्यापक / प्राचार्य द्वारा सत्यापित किया जायेगा।
- प्रत्येक शिक्षक को कक्षा में अध्यापन के कम-से-कम एक दिन पूर्व पाठ-योजना तैयार करना होगा।
- कक्षा में अध्यापन के पूर्व उक्त पाठ-योजना को प्रधानाध्यापक / प्राचार्य द्वारा हस्ताक्षर कर सत्यापित किया जायेगा ।
- शिक्षक को पाठ योजना SOP बनाते समय प्रकरण को एक या अधिक शिक्षण बिंदुओं में विभाजित करना चाहिए परंतु यह ध्यान रखना चाहिए कि एक पाठ-योजना में उतने ही शिक्षण बिंदुओं को समाहित किया जाए जितना शिक्षण बिंदु कक्षा अवधि में समाप्त हो जाए।
- पाठ-योजना में प्रयुक्त होने वाली शिक्षण अधिगम सहायक सामग्री तथा उसके प्रयोग विधि को सुनिश्चित कर लेना चाहिए ताकि पाठ्य-वस्तु विद्यार्थियों के लिए सुगम एवं बोधगम्य हो।
- कक्षा में शिक्षक द्वारा पाठ योजना के प्रस्तुतीकरण में उचित शिक्षण विधि का प्रयोग किया जाना चाहिए ।
- शिक्षक को हमेशा शिक्षण बिन्दु को ध्यान में रखकर ही कक्षा में क्रियाकलाप को नियंत्रित करना चाहिए।
- कक्षा में शिक्षक एवं छात्र की क्रियाशीलता एक-दूसरे के पूरक हैं, इसका ध्यान शिक्षक को अवश्य रखना चाहिए, ताकि कक्षा में शिक्षक और छात्र की क्रियाशीलता आदर्श रहे।
- पाठ-योजना लेखन एवं शिक्षक द्वारा कक्षा में उसके कार्यान्वयन में श्यामपट्ट कार्य का महत्वपूर्ण स्थान है, जिसका अनुपालन पाठ – योजना लेखन एवं उसके कार्यान्वयन में किया जाना चाहिए ।
- पाठ-योजना के कार्यान्वयन की समीक्षा छात्रों के मूल्यांकन के आधार पर किया जाता है, जो शिक्षक को कक्षा अध्यापन के दौरान रोचक ढंग से बीच-बीच में आवश्यकतानुसार करना चाहिए ।
- पाठ-योजना के कार्यान्वयन के क्रम में विद्यार्थियों की पठित विषय-वस्तु पर बेहतर समझ सुनिश्चित करने के लिए उक्त प्रकरण की पुनरावृत्ति की जानी चाहिए ।
- पाठ-योजना के सफल कार्यान्वयन के उपरांत विद्यार्थियों को रचनात्मक गृह-कार्य दिया जाना चाहिए। शिक्षक को पाठ-योजना लेखन एवं कक्षा में उसके कार्यान्वयन में गृह-कार्य को आवश्यकतानुसार अवश्य स्थान देना चाहिए ।