स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के तहत संचालित झारखण्ड के सभी सरकारी विद्यालयों के लिए मध्याह्न भोजन में नया मानक संचालन प्रक्रिया (Mid Day Meal SOP) जारी किया गया है। झारखण्ड राज्य मध्याहन भोजन प्राधिकरण ने पत्र जारी करके प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजनान्तर्गत मध्याहन भोजन तैयार करने, वितरण करने तथा निर्धारित मेनू के अनुसार वर्षा ऋतु में हरी सब्जी के उपयोग हेतु मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) का शत प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया है।
वर्षा ऋतु के तापमान में आर्द्रता होने के कारण हरी पत्तेदार सब्जियों पर बैक्टीरिया और फंगस के विकास के लिए परिस्थिति अनुकूल होती है। इस कारण से हरी सब्जियों से छात्रों का पेट में संक्रमण का खतरा बना रहता है। इसलिए सभी सरकारी विद्यालय को इस SOP के तहत मध्याह्न भोजन देने का आदेश दिया गया है।
Mid Day Meal पर वर्षा ऋतु में खतरा
मौसम के बदलने का सीधा सा मतलब है कि तापमान में तेजी से बदलाव आना। मौसम के साथ हमारे शरीर को भी बदलाव की जरूरत होती है। लेकिन शरीर को जलवायु के अनुकूल ढलने में समय लगता है। यानी हमारी शरीरअपने थर्मोडायनामिक्स को मौसम की तरह तेजी से नहीं बदल पाती है। यही वजह है कि बदलते मौसम में बैक्टीरिया या वायरस से पनपने वाली बीमारियां होने का खतरा रहता है। वर्षा ऋतु के मौसम में यह खतरा कई गुना बढ़ जाता है क्योंकि बारिश का पानी और नमी बैक्टीरिया के लिए अनुकूल होते हैं।
Mid Day Meal पर वर्षा ऋतु में सावधानियां
वर्षा ऋतु में बीमारियों से लड़ने के लिए छात्रों में इम्यूनिटी का स्ट्रांग रहना बेहद जरूरी है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका हमारी लाइफस्टाइल और खानपान की है। इसलिए बारिश के मौसम में डाइट का खास ध्यान रखने की जरूरत है। कई ऐसी सब्जियां हैं, जो बारिश के मौसम की वजह से बैक्टीरिया और परजीवी आसानी से पनप सकते हैं। इसलिए बारिश के मौसम में सब्जियों का चुनाव करते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
Mid Day Meal SOP के तहत नया आदेश क्या है ?
Mid Day Meal में नया SOP जारी करके आदेश दिया गया है की विद्यालय द्वारा मध्याह्न भोजन तैयार करने एवं वितरण करने के क्रम में निम्नलिखित सावधानियां आवश्यक रूप से बरती जाए:-
- किचेन -सह- स्टोर को नित्य सफाई की जाय ताकि कीड़े मकोड़ो से मध्याहन भोजन को सुरक्षित रखा जा सके।
- भोजन पकाने से पूर्व सभी बर्तन की अच्छी तरह साफ सफाई की जाय, तत्पश्चात् भोजन की तैयारी प्रारंभ की जाय ।
- पी.एम. पोषण योजनान्तर्गत चावल (Fortified rice) की आपूर्ति भारत सरकार द्वारा भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से की जाती है चावल पकाने से पूर्व उसकी अच्छी तरह साफ-सफाई तथा गर्म पानी से अवश्य धो लिया जाय।
- चावल के उपयोग के संदर्भ में FIFO ( First in First Out) प्रणाली के अनुसार जिस चावल का उठाव पहले हुआ है उसका उपयोग भी पहले किया जाय।
- तेल, मसाला, नमक, हल्दी, जीरा आदि सामग्रीयों को सदैव डब्बे में बंद करके रखा जाय तथा उपयोग के संबंध में FEFO (First Expiry First Out) प्रणाली अपनाई जाय अर्थात् जिनका Expiry Date पहले है उसका प्रयोग पहले किया जाय।
- सब्जी बाजार से लाने के बाद सबसे पहले गर्म पानी से धोना चाहिए तथा सब्जी काटने के बाद भी गर्म पानी से धोकर ही बनाया जाय ।
- रसोईया – सह – सहायिका एप्रेन तथा कैप पहनकर ही भोजन पकाने का कार्य करेंगे।
- रसोई घर में विद्यालय के किसी भी छात्र-छात्रा का प्रवेश निषेध रखा जाय ताकि किसी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके।
- बच्चों को बैठाकर मध्याह्न भोजन परोसकर ही खिलाया जाय किसी भी परिस्थिति में बच्चों को लाईन लगाकर थाली में भोजन का वितरण नहीं किया जाय ।
- पूरक पोषाहार के अंतर्गत दिया जाने वाला अण्डा को उबालने से पहले एक बाल्टी में रखकर चैक कर लिया जाना चाहिए जो अण्डा बाल्टी की सतह में बैठ जाता है वह सही एवं उपयोग लायक है तथा जो अण्डा उपर पानी में तैरता है उसे कदापि उपयोग में नहीं लाना चाहिए।
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मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) के तहत क्या नहीं खिलाना चाहिए?
वर्षा ऋतु में साग नहीं खिलाना चाहिए। ऐसे भी देहातों में एक कहावत बहुत प्रचलित है सावन माह में साग नहीं और चैत माह में गुड़ नहीं। Mid Day Meal SOP में नया आदेश जारी करके कहा गया है की वर्षा ऋतु के जुलाई, अगस्त एवं सितम्बर तक मध्याह्न भोजन में साग, पालक, शिमला मिर्च, मेथी के पत्ते, पत्ता गोभी, मूली, गाजर, शलगम, चुकंदर फूलगोभी, बैंगन आदि का उपयोग नहीं किया जाए। ऊपर में बताया जा चुका है की वर्षा ऋतु में तापमान और आर्द्रता, हरी पत्तेदार सब्जियों पर बैक्टीरिया और फंगस के विकास के लिए अनुकूल होती है। इस कारण से हरी सब्जियों से पेट में संक्रमण का खतरा बना रहता है।
SOP के तहत बरती जाने वाली आवश्यक सावधानियाँ क्या है?
वैसे तो हरी पत्तेदार सब्जियां न्यूट्रिएंट्स से भरपूर होती हैं, जो शरीर को फिट रखने के लिए जरूरी पोषण देती हैं। लेकिन बारिश के मौसम में इनसे परहेज करना ही बेहतर है। दरअसल इस मौसम में कीट-पतंगों और बैक्टीरिया की प्रजनन क्षमता बढ़ जाती है। साथ -ही-साथ बारिश की वजह से पत्तेदार सब्जियों को कई दिन तक धूप देखने को नहीं मिलती है।
तेज धूप और गर्मी के कारण पत्तों पर बैक्टीरिया नहीं पनपते हैं। लेकिन बरसात के मौसम में धूप की कमी और हवा में नमी की वजह से पत्तियों के बैक्टीरिया से इन्फेक्टेड होने की आशंका ज्यादा रहती है। ये बैक्टीरिया इतने छोटे होते हैं कि आंखों से दिखाई नहीं देते। ऐसे में पत्तेदार सब्जियों को अच्छे से न धोने पर कम्युनिकेबल डिजीज होने का खतरा बढ़ जाता है।
Mid Day Meal SOP के अनुसार मध्याह्न भोजन संचालित सभी विद्यालय के लिए निम्न प्रकार की सावधानियां आवश्यक है:-
- सभी छात्र बीमारियों से बचने के लिए मध्याह्न भोजन से पूर्व एवं शौच के पश्चात् साबुन से आवश्यक रूप में हाथ धोएं। इस सम्बन्ध में विद्यालय की और से बच्चों को जागरूक करें और सिखाएं।
- पेयजल स्रोतों जैसे हेण्डपंप/कुआ/ पानी टैंक आदि को ब्लीचिंग या आशा कार्यकर्ता या लोक स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के द्वारा बताये दिशा-निर्देशों के अनुसार पाउडर या हाइपोक्लोराइड घोल से जल शुद्धिकरण अपने कराए।
- विद्यालय के चलने के क्रम में किसी बच्चों को उल्टी दस्त समस्या उत्पन्न होने पर तुरंत उसे 1 लीटर पानी में 1 चुटकी नमक (5ग्राम) एवं 4 चम्मच शक्कर (20 ग्राम) मिलाकर घोल बनाए तथा बच्चों को बार-बार पिलाए तथा तुरंत उसे नजदीकी अस्पताल ले जाया जाय।
- वर्षा ऋतु में मच्छर, मक्खियों व अन्य कीड़ों को पनपने का संभावना अधिक रहता है इसलिए विद्यालय के आस-पास बारिश का पानी इकट्ठा न होने दे ताकि मच्छर मक्खीयों को पनपने से रोका जा सके।
- नाखून रोगाणुओं और बैक्टीरिया के लिए एक विषेष रूप से अनुकूल स्थान है, जो बढे हुए नाखूनों से बच्चों को बिमार होने का खतरा बढ़ जाता है इसलिए बच्चों को नियमित रूप से बच्चों को नाखून चैक किया जाय।
- यह भी ध्यान रखा जाय कि बच्चें विद्यालय के परिसर में ही रहे किसी भी परिस्थिति में विद्यालय के क्रम में बच्चों को विद्यालय से बाहर नहीं निकलने दिया जाय।
- विद्यालय में साफ-सफाई का विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
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Mid Day Meal (MDM) SOP Letter Download– PDF
SOP के तहत Mid Day Meal (MDM) में क्या खिलाना चाहिए ?
Mid Day Meal SOP में छात्रों को क्या खिलाना चाहिए इसका भी स्पष्ट आदेश दिया गया है। बारिश के मौसम में जल जनित बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है। इसलिए डाइट में एंटीआक्सीडेंट्स, मिनरल्स, विटामिन्स और फाइबर से भरपूर सब्जियों को शामिल करना चाहिए। इसके लिए करेला, परवल जैसी सब्जियों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं क्योंकि करेला में मौजूद विटामिन C इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। साथ ही पाचन तंत्र में सुधार कर पेट से जुड़ी कई समस्याओं से भी निजात दिलाता है।
परवल एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है। यह इम्यूनिटी स्ट्रान्ग करने के साथ बैक्टीरियल इन्फेक्शन से भी बचाता है। मौसमी फल खिलाना ज्यादा हितकारी होता है। मौसमी फल विटामिन और खनिजों से भरपूर होते हैं जो प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में मदद करते हैं और बरसात के मौसम में बच्चों के आहार का हिस्सा होना चाहिए। मानसून के दौरान सेब, नाशपाती, अनार, लीची और केले चुनें। इन फलों में पानी की मात्रा कम होती है, जिससे पानी से होने वाली बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
आदेश में कहा गया है कि पूरक पोषाहार के रूप में शाकाहारी छात्र छात्रा को अण्डा के बदले इन फलों को उपयोग में लाया जाय।
विद्यालय में लहसुन का प्रयोग करें
लहसुन अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इसमें एलिसिन होता है, जो वायरस का सामना करने पर शरीर में कुछ प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाओं की रोग- लड़ने की प्रतिक्रिया को बढ़ाता है। बच्चों के आहार बनाने में लहसुन को शामिल करना, मानसून के दौरान इम्यूनिटी बढ़ाने का एक प्रभावी तरीका है इसलिए मध्याह्न भोजन बनाते वक्त लहसुन का प्रयोग अवश्य करें।