सरकारी स्कूलों में विद्यालय प्रबंधन समिति (SMC) का गठन या पुनर्गठन करने का उद्देश्य विद्यालय के संचालन, प्रशासन और विकास में अभिभावकों एवं समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता उत्तम व बेहतर हो सके, छात्रों को अच्छा वातावरण व अध्यापन का माहौल मिल सके और स्थानीय समुदाय की भागेदारी के साथ शिक्षक और अभिभावक एक साथ मिलकर विद्यालय के सर्वांगीण विकास के लिए काम कर सके।
विद्यालय प्रबंधन समिति (SMC) में सदस्य
स्कुल में School Management Committee (SMC ) के सदस्यों की कुल संख्या 16 (सोलह) होती है जो निम्नलिखित प्रकार से होगी :-
सदस्य | उच्च एवं उच्चतर विद्यालयों के विद्यालय प्रबंधन समिति में सदस्यों की संख्या | प्रारंभिक विद्यालयों के विद्यालय प्रबंधन समिति में सदस्यों की संख्या |
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माता-पिता/अभिभावक कम से कम एक-एक सदस्य निम्न में से- अनुसूचित जाति या जनजाति , महिला,अल्पसंख्यक, दिव्यांग बच्चों के अभिभावक | 12 | 12 |
प्रधानाध्यापक सहित शिक्षकों की संख्या | 4 | 2 |
स्थानीय प्राधिकार | 1 | 1 |
बाल संसद | 1 | 1 |
कल्याण पदाधिकारी या उसके प्रतिनिधि | 1 | 0 |
कुल सदस्य | 19 | 16 |
सदस्यों की अहर्ताएँ
कोई भी माता-पिता या अभिभावक विद्यालय प्रबंधन समिति (SMC) का सदस्य नहीं बन सकता है। इसके लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) के तहत एक अहर्ता निर्धारित की गयी है।
- वह साक्षर हो।
- नियमानुसार वह पोषक क्षेत्र में स्थायी निवास करता हो।
- जिसका पुत्र या पुत्री संबंधित विद्यालय में पढ़ता / पढ़ती हो।
- छात्र/छात्रा कम से कम 3 वर्ष तक विद्यालय में अवश्य रहे (विद्यालय के उच्चतम कक्षाओं के माता-पिता याअभिभावक को समिति का सदस्य नहीं बनाया जाए।
- एक ही परिवार से लगातार दो बार अध्यक्ष नहीं लिये जाए।
- समिति में एक ही परिवार के दो सदस्य नहीं होंगे।
- अध्यक्ष के चुनाव दुबारा होने पर सकारण सक्षम प्राधिकार को सूचित किया जाए।
- जिनके विरूद्ध कोई पुलिस केस या विभागीय कार्रवाई लम्बित नहीं हो।
- विद्यालय विकास में रूचि रखता हो
- समिति में यथासंभव (Preferably) 50 प्रतिशत महिलाएँ होंगी।
- पिछले कार्यकाल में चयनित सदस्य जो लगातार तीन बैठक में अनुपस्थित रहे हों उनका दुबारा चयन नहीं किया जाए।
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विद्यालय प्रबंधन समिति (SMC) गठन की प्रक्रिया
SMC के गठन की प्रक्रिया विद्यालय प्रबंधन समिति (SMC) के गठन की तिथि से 3 वर्ष पूर्ण होने के एक माह पूर्व या कम से कम 15 दिनों पूर्व पुर्नगठन की तैयारी कर लेना है। जिला परियोजना कार्यालय 03 वर्ष पूर्ण करने वाले विद्यालयों को चिन्हित कर प्रखण्ड संसाधन केन्द्र को सूची भेजना आवश्यक होगा।
प्रखण्ड संसाधन केन्द्र द्वारा संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक को पुर्नगठन एवं पर्यवेक्षक को प्रतिनियुक्त करते हुए आदेश निर्गत करेगा । इस क्रम में निम्नांकित कार्रवाई किये जाने का नियम बनाया गया है :-
- प्रधानाध्यपक द्वारा विद्यालय प्रबंधन समिति के पुर्नगठन हेतु तिथि का निर्धारण किया जाएगा ।
- विद्यालय में पढ़ने वाले सभी छात्र-छात्राओं के माता-पिता या अभिभावक को आम सभा की सूचना दी जाएगी। इसके लिए सभी छात्र-छात्राओं के माता-पिता/अभिभावक को बैठक की सूचना उनके बच्चों के माध्यम से समाचार पत्र या व्हाट्सएप्प या लिखित सूचना देनी है ।
- संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक, शिक्षक एवं बाल-संसद यह सुनिश्चित करेंगे कि उक्त बैठक में विद्यालय में पढ़ने वाले सभी छात्र-छात्राओं के माता-पिता अनिवार्य रूप से भाग लें ।
- पुर्नगठन हेतु आवश्यक व्यवस्था की जाए यथा- बैठने की व्यवस्था, पेयजल आदि।
- प्रखण्ड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी द्वारा प्रतिनियुक्त पर्यवेक्षक की उपस्थिति में अहर्ताधारी सदस्यों का चुनाव कराया जाए।
- सदस्यों का चुनाव सम्पन्न होने के उपरांत समिति के अध्यक्ष का चुनाव भी उसी समय करा लिया जाए ।
- सभी नवचयनित सदस्यों की विवरणी, फोटो, आधार नम्बर, सम्पर्क संख्या आदि प्राप्त किया जाए ।
- पर्यवेक्षक द्वारा पुर्नगठन की कार्यवाही, विवरणी सहित प्रखण्ड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी को उपलब्ध कराया जाए ।
- प्रखण्ड एम.आई.एस. समन्वयक द्वारा ई-विद्यावाहिनी में पुर्नगठन के तीन दिनों के अन्दर अद्यतन किया जाए ।
- ई-विद्यावाहिनी में नवगठित विद्यालय प्रबंधन समिति अद्यतन करने के उपराँत विद्यालय प्रबंधन समिति के गठन की सूचना अगले दो दिनों के अन्दर जिला शिक्षा अधीक्षक को दिया जाए ।
- समिति के सभी सदस्यों की विवरणी अगले 10 दिनों के अन्दर दीवार लेखन के माध्यम से दर्शाया जाए।
विद्यालय प्रबंधन समिति (SMC) का प्रमुख कार्य
विद्यालय के वातावरण निर्माण में सहयोग के अलावे प्रत्येक गतिविधि में शिक्षकों के साथ आपसी सामंजस्य स्थापित करते हुए कार्य करना है।
विद्यालय प्रबंधन समिति (SMC) का प्रमुख कार्य है कि विद्यालय के वातावरण निर्माण में सहयोग के अलावे प्रत्येक गतिविधि में शिक्षकों के साथ आपसी सामंजस्य स्थापित करते हुए कार्य करना है। जिनमें स्वच्छता के तहत वर्ग कक्ष, दीवार, बरामदा, शौचालय, पेड़ एवं झाड़ियां, खेल का मैदान, व्यक्तिगत स्वच्छता, बाउंड्री के बाहर एवं कचड़ा के लिए डस्टबिन की व्यवस्था करना आदि कार्य है।
विद्यालय प्रबंधन समिति (SMC) का प्रमुख कार्य में पुर्नव्यवस्था (Reorganisation) दृश्यता और सेटअप (Visibility and Setup) के तहत वर्गकक्ष, प्रधानाध्यापक रूम एवं स्टाफ रूम, लैब, उसके उपकरण, उपकरण, पुस्तकालय नोटिस बोर्ड में एस.एम.सी, बाल संसद, टेस्ट सीरीज, साप्ताहिक पाठ योजना जैसी अनिवार्य गतिविधियों के साथ अद्यतन करना सभी समितियों का उत्तरदायित्व, आदि । इसके अलावे सुझाव बॉक्स, खोया-पाया बॉक्स का निर्माण एवं इसका पहुँच सभी छात्रों का हो ऐसा व्यवस्था करना।
खेल का मैदान के अंतर्गत विद्यालय प्रबंधन समिति (SMC) का कार्य है की विद्यालय में आवश्यक्तानुसार खेल-कूद ( Sports) हो , तरह-तरह के खेल में लगभग सभी विद्यार्थियों की भागीदारी सुनिश्चित करने एवं खेल के लिए साप्ताहिक दो अवधि निर्धारित हो।
विद्यालय प्रबंधन समिति (SMC) के SOP के तहत विद्यालय का कैंपस को हरा-भरा (Green Campus ) करने का कार्य भी SMC के सदस्यों के जिम्मे आता है। इसके अंतर्गत विद्यालय के अंदर और बाहर वृक्षारोपण (अधिकतम संभव ), किचन गार्डेन, फूलों के गमले, घास, लॉन आदि निर्धारित की गयी है तथा वॉल पेंटिंग करना इको क्लब की जिम्मेदारियाँ है।
समिति का कार्यकाल
विद्यालय प्रबंधन समिति (SMC) का कार्यकाल सामान्यतः तीन वर्षो का होगा। तीन वर्ष की अवधि पूर्ण होने पर जिला परियोजना कार्यालय द्वारा समिति का पुर्नगठन का आदेश दिया जाएगा।
समिति (SMC) को विघटन ( भंग ) करने का नियम
विद्यालय प्रबंधन समिति के पुनर्गठन हेतु मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) अब तक जान चुके है। विशेष परिस्थिति में इस समिति को भंग भी किया जा सकता है। नियम के तहत इसका प्रावधान किया गया है।
कम से कम 10 प्रतिशत नामांकित बच्चों के अभिभावकों के शिकायत पर आम-सभा द्वारा समिति को समय से पूर्व भंग कर नई समिति का गठन किया जा सकता है। वितीय अनियमितता सिद्ध होने पर भी समिति को भंग किया जा सकता है। समिति की लगातार 4 बैठक नहीं होने पर समिति भंग की जा सकती है।
SMC सदस्यों का निष्कासन का नियम
विद्यालय प्रबंधन समिति (SMC) के सदस्यों का निष्कासन का भी नियम बनाया गया है। किसी सदस्य का बच्चा विद्यालय में नामांकित है परन्तु तीन माह तक उसकी उपस्थिति 60% से कम है। यदि किसी सदस्य का बच्चे का नामांकन दो विद्यालयों में किया गया है । यदि किसी सदस्य पर अपराधिक मामला दर्ज है। यदि किसी सदस्य का बच्चा संबंधित विद्यालय से उच्चत्तम कक्षा से उत्तीर्ण हो चुका है (Passout) या संबंधित विद्यालय से छीजित हो चुका है। यदि कोई सदस्य विद्यालय संचालन एवं क्रियान्वयन में किसी अनियमितता में संलिप्त पाया जाता है। ऐसे में उस सदस्य को कमिटी से निष्कासित जा सकता है।