शिक्षा का अधिकार 6 से 14 वर्ष के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार देता है। सीटी बजाओ अभियान उस अधिकार को ज़मीनी स्तर पर लागू करने में मदद करता है। शिक्षा सह सामाजिक परिवर्तन के वाहक, नव विचारों के सृजनकर्ता, नवाचार के प्रतीक बादल राज , जिला शिक्षा अधीक्षक रांची द्वारा विद्यालय में बच्चों के ठहराव और नियमित उपस्थिति निमित्त सीटी बजाओ 2.0 (ASPIRE) कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। इस अभियान से समाज में यह संदेश जाता है कि बच्चों की शिक्षा सभी की जिम्मेदारी है।

“सीटी बजाओ अभियान 2.0” का उद्देश्य
“सीटी बजाओ अभियान 2.0” का उद्देश्य बच्चों को शिक्षा से जोड़ना उनके मूल अधिकार (Right to Education) की रक्षा करना है। सरकारी स्कूलों में बच्चों का नामांकन बढ़ाने, 05 से 18 आयुवर्ग के सभी बच्चों का विद्यालय में शत प्रतिशत उपस्थिति, अभिभावकों की जागरूकता, अशिक्षित वयस्कों को शिक्षित करना जैसे उद्देश्यों की पूर्ति के लिए इस अभियान की शुरुआत की गई है। यह कार्यक्रम यह सुनिश्चित करता है कि हर बच्चा पढ़ सके। शिक्षित बच्चे भविष्य के जिम्मेदार नागरिक बनते हैं। यह अभियान एक शिक्षित, जागरूक समाज और सशक्त राष्ट्र के निर्माण में सहायक है।

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“सीटी बजाओ अभियान 2.0” के लाभ
“सीटी बजाओ अभियान 2.0” (सिटी बजाओ – स्कुल बुलाओ) छात्र उपस्थिति एवं ठहराव के लिए एक क्रन्तिकारी कदम है। इसके अनेक फायदे हैं, यह न सिर्फ छात्रों बल्कि पूरे समाज और शिक्षा व्यवस्था को प्रभावित करते हैं।
जब मोहल्ले के बच्चे किसी को सीटी बजाते हुए स्कूल जाते देखते हैं, तो उन्हें यह एक सकारात्मक संकेत लगता है कि “अब स्कूल का समय हो गया है।” छोटे बच्चे या देर से उठने वाले बच्चे इस आवाज़ से सजग हो जाते हैं और तैयार होने की प्रेरणा पाते हैं।
सीटी एक शक्तिशाली संकेत होती है जो बच्चों का ध्यान स्कूल जाने के लिए तुरंत आकर्षित करती है। बच्चों को सीटी बजाने की ज़िम्मेदारी देना उन्हें गर्व की भावना देता है और नेतृत्व कौशल भी बढ़ता है। इससे वे स्कूल के प्रति अधिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
ऐसे भी माता-पिता या अभिभावक होते है, जो अपने बच्चों की शिक्षा को गंभीरता से नहीं लेते। यह अभियान उनके भीतर यह भावना जगाता है कि बच्चों को स्कूल भेजना उनकी ज़िम्मेदारी है।
पोषक क्षेत्र में भ्रमण या शिशु पंजी अपडेट करते समय अक्सर यह देखा गया है की जब बच्चे स्कूल नहीं जाते, तो उन्हें घर के कामों में लगा दिया जाता है या कम उम्र में शादी कर दी जाती है। छात्रों की नियमित उपस्थिति होने पर ऐसे सामाजिक बुराइयों पर भी रोक लग जाती है।
सिटी सुनते ही बच्चों में दूसरों की देखादेखी स्वयं में भी स्कूल जाने की भावना जाग्रत होती है। यह समय प्रबंध सिखाती है। सिटी की आवाज अभिभावक और बच्चों को नियमित और समय पर स्कूल आने के लिए प्रेरित करते है। इसके सबसे बड़े फायदे यह है की पढ़ाई में निरंतरता बनी रहती है । नियमित उपस्थिति का सीधा संबंध बच्चों के प्रदर्शन से होता है। जब वे प्रत्येक दिन विद्यालय आएंगे, तो उनकी सीखने की गति और समझ बेहतर होगी।
सारांश
जिला शिक्षा अधीक्षक रांची, बादल राज ने सीमाओं को नहीं, संभावनाओं को देखा। परिवर्तन लाने की दृढ़ इच्छा निमित्त इस अभिनव प्रयोग “सीटी बजाओ अभियान 2.0 ” छात्रों की नियमित उपस्थिति, विद्यालय में नियमित ठहराव, और समयपालन बढ़ाने का एक रचनात्मक और सामूहिक तरीका है। जब बच्चे घर से स्कूल निकलते समय सीटी बजाते हैं, तो यह अन्य बच्चों को स्कूल के लिए प्रेरित करते है, उन्हें समय पर तैयार होने की आदत डालता है और मोहल्ले में एक सकारात्मक वातावरण बनाता है। यह सिटी की आवाज न केवल बच्चों को बल्कि पूरे समुदाय को स्कूल शिक्षा से जोड़ने में सहायता करता है।